गोकुल में जन्माष्टमी का समारोह बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।

वृन्दावन में भगवान् कृष्ण की लीलाएं मनाई जाती हैं।

 

कंस कारागार में जन्म लेने के बाद भगवान कृष्ण गोकुल पहुंचे। गोकुल में जन्म के अगले दिन नंदोत्सव मनाया जाता है। गोकुल का नंदोत्सव अद्भुत है। लाला के जन्म के उपलक्ष्य में उपहार बांटे जाते हैं। यात्राएं निकली जाती हैं। हर साल मंदिर में ही नंदोत्सव का आयोजन किया जाता है। गोकुल स्थित नंद किला नंद भवन में जन्माष्टमी की तैयारियां होती हैं।



 

इस साल भले ही भक्त मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, लेकिन मंदिर को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. मंदिर को गुब्बारों, स्कर्टों, पत्तों से सजाया जाता है। हर साल नंदोत्ता पर श्रद्धा की लहर लगती हैं। मंदिर से नंद चौक तक जुलूस निकाला जाता है। नंद चौक पर श्रद्धा का तांता लगाता है। इस साल कोरोना काल के चलते यह आयोजन मंदिर में ही हुआ था।


 

कार्यक्रम में सिर्फ मंदिर प्रबंधन के लोग ही शामिल हो सकेंगे। मथुरादास पुजारी ने कहा कि इस वर्ष नंदोत्सव का कार्यक्रम अभी भी मंदिर में ही किए जाने का प्रस्ताव है. कहा जाता है कि जो कान्हा की भक्ति में लीन हो जाता है वह संसार के मोह से परे हो जाता है। भक्त कृष्ण की भक्ति के स्वाद में इतना लीन हो जाता है कि उसे संसार की परवाह ही नहीं रहती।

 

कुछ ऐसी ही तस्वीरें मंदिरों में भी देखने को मिलती हैं जहां भक्त कान्हा के भजनों में डूबे नजर आते हैं। यहां सभी कान्हा के भजनों पर झूमते और गाते नजर आ रहे हैं. स्त्री हो या पुरुष, हर कोई मंत्रों में लीन हो जाता है और आंखें बंद करके कान्हा के ध्यान में झूमता रहता है। नजारा ऐसा है मानो भक्त कान्हा के अलौकिक दर्शन से धन्य हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।


Examining Kshatriyas' Identity and Legacy: Keepers of Dharma

Origins and Vedic Period: Four varnas, or classes, comprised ancient Vedic literature, which is where the idea of Kshatriyas originated. The task of defending the kingdom and its subjects fell to the Kshatriyas. They were considered the guardians and fighters, in charge of upholding law and order.

 

श्रीकुरम कुरमानाथस्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश में श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल में स्थित एक हिंदू मंदिर है।

यह हिंदू भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित है, जिन्हें कूर्मनाथस्वामी के रूप में पूजा जाता है। 

जानिए दुनिया की सबसे ऊंची अखंड मूर्ति गोमतेश्वर की मूर्ति के बारे में

गोमतेश्वर मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में श्रवणबेलगोला में स्थित है, जिसे बाहुबली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 

Bhagavad Gita, Chapter 2, Verse 11

श्रीभगवानुवाच |

अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे |

गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः || 

Translation (English): The Supreme Lord said: While speaking learned words, you are mourning for what is not worthy of grief. The wise lament neither for the living nor for the dead. 

Meaning (Hindi): भगवान श्रीकृष्ण बोले: जबकि तू ज्ञानी बातें करता है, तू अशोकी है और निश्चय रूप से शोक करने के योग्य नहीं है। पंडित जो ज्ञानी हैं, वे न तो जीवितों के लिए और न मरे हुए के लिए शोक करते हैं॥

Maintaining Parsi Morals: Dissecting the Visible it of the Parsi Society

Traditional Customs: An Overview of Parsi Ceremony Going beyond the widely recognized traditions, let us explore some of the lesser-known Parsi rituals that enrich their cultural past. These customs show a strong bond with their historical origins, from the intricate details of the Navjote ceremony, which starts a child into the Zoroastrian faith, to the spiritual meaning of the Sudreh-Kusti, a holy vest and girdle worn by Parsis.