इस्लाम में, यह माना जाता है कि रजब के महीने के 27 वें दिन, अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और अल्लाह की मुलाकात हुई। अरबी में, शब का अर्थ रात होता है, इसलिए इस रात को मुहम्मद की पवित्र रात भी कहा जाता है। शब-ए-मेराज के दिन रात में विशेष नमाज अदा की जाती है।
अल्लाहतला के साथ मुहम्मद की मुलाकात का जश्न मनाने के लिए इस दिन मस्जिदों को भी विशेष रूप से सजाया जाता है। शब-ए-मेराज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग दिन भर भगवान की पूजा करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर जुलूस और मेलों का आयोजन किया जाता है। शब-ए-मेराज की घटना को इस्लाम में चमत्कारी माना जाता है।
कहा जाता है कि इसी रात मोहम्मद साहब ने रात के कुछ ही घंटों में मक्का से यरुशलम तक 40 दिन की यात्रा की थी और फिर अल्लाह से मिलने के लिए सात आसमानों की यात्रा की थी। तभी से इस खास दिन पर शब-ए-मेराज मनाया जाने लगा। शब-ए-मेराज इस्लाम में बहुत खास है।
कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले को 100 साल तक उपवास का फल मिलता है। जो व्यक्ति इस रात में अल्लाह की इबादत करता है और कुरान पढ़ता है, उसे वही इनाम मिलता है जो 100 साल की रात में इबादत करने वाले को मिलता है। इस रात नमाज की 20 रकात और पैगंबर की सलाम पढ़ी जाती है।