हिमाचल को देवी-देवताओं की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि इस स्थान पर कई शक्तिपीठ हैं। ये है हिमाचल के एक शक्तिपीठ की जिसे देवी चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। इसे छिन्नमस्तिका शक्तिपीठ भी कहा जाता है। माता का यह मंदिर हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है। पुराणों के अनुसार इस स्थान पर देवी सती के चरण गिरे थे।
ऐसा माना जाता है कि माई दास नाक के एक सारस्वत ब्राह्मण थे जो मां के भक्त थे। एक बार माता ने अपनी भक्त माई दास को इस स्थान पर दर्शन दिए और बताया कि यह उनका शक्तिपीठ है, जिसके बाद इस स्थान पर देवी का मंदिर बनाया गया। मंदिर में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर एक बड़ा पत्थर है।
ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर देवी ने अपने भक्त माई दास को दर्शन दिए थे। महिषासुर का वध मां दुर्गा ने नैना देवी मंदिर के पास किया था। लेकिन देवी की उत्पत्ति इस स्थान पर देवताओं द्वारा मानी जाती है। इसलिए इस शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। भक्त की यह मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से सभी चिंताएं और निराशा के बादल दूर हो जाते हैं।
मन में भक्ति और आशा का संचार होता है। भक्त मां से जो कुछ भी श्रद्धापूर्वक मांगता है, मां उसकी मनोकामना पूरी करती है। चैत्र और अश्विन नवरात्रि में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर में माता के मंत्रों की गूंज सुनाई देती है।