देवी के मां चामुंडेश्वरी शक्तिपीठ में सदैव कालभैरव वास करते हैं, कहा जाता है कि इसी स्थान पर देवी ने महिषासुर का वध किया था।

चामुंडी पहाड़ी पर स्थित, यह मंदिर दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर की हत्या का प्रतीक माना जाता है। 

देवी का यह मंदिर कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर से 13 किमी दूर चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर मां दुर्गा के एक रूप 'मां चामुंडेश्वरी' को समर्पित है। यह स्थान हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल है और चामुंडेश्वरी देवी को दुर्गा जी का एक रूप माना जाता है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित, यह मंदिर दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर की हत्या का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर देवी ने महिषासुर का वध किया था और आज यह चामुंडेश्वरी मंदिर स्थित है। मंदिर के बाद चामुंडी पहाड़ी पर महिषासुर की एक लंबी मूर्ति है। चामुंडेश्वरी मंदिर को 18 महा शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती के बाल गिरे थे। पौराणिक काल में इस क्षेत्र को 'क्रौंचा पुरी' कहा जाता था, इसीलिए इस मंदिर को दक्षिण भारत में 'करौंच पीठम' के नाम से भी जाना जाता है। निवासियों के अनुसार कहा जाता है कि शक्तिपीठ की रक्षा के लिए काल भैरव भी हमेशा यहां निवास करते हैं।



चामुंडेश्वरी मंदिर की कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि वह केवल एक महिला द्वारा ही मारा जाएगा। इसके अलावा कोई और उसे नुकसान नहीं पहुंचा सका। वरदान पाकर महिषासुर ने देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। इससे नाखुश देवताओं ने महिषासुर से छुटकारा पाने के लिए महाशक्ति भगवती की पूजा की। देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर, देवी भगवती ने उन्हें महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति का आश्वासन दिया। इसके बाद देवी भगवती और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। देवी ने सभी राक्षसी सेना को मार डाला और अंत में महिषासुर का सिर काट दिया। देवी के इस रूप को चामुंडा का नाम दिया गया था।


चामुंडेश्वरी मंदिर का महत्व
यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की मूर्ति शुद्ध सोने से बनी है। मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी कुल ऊंचाई 40 मीटर है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा शिव मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां के लोगों का मानना ​​है कि मैसूर शहर के लोगों पर मां चामुंडा की कृपा है। उन्हीं के आशीर्वाद से ही मैसूर शहर हर सदी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है।

मैसूर के दशहरे के अवसर पर निकाली गई झांकी में राजा की जगह पालकी पर सिर्फ मां चामुंडा की प्रतिकृति विराजमान है। दक्षिण के अन्य मंदिरों की तरह चामुंडेश्वरी मंदिर में भी सामान्य दर्शन के अलावा विशेष दर्शन के लिए कूपन भी उपलब्ध हैं। चामुंडा देवी के दर्शन के लिए देश भर से हजारों श्रद्धालु हर दिन पहुंचते हैं। वैसे तो नवरात्रि के समय मंदिर में अधिक भीड़ रहती है। चामुंडा पहाड़ी पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धर्मशाला में आवास की सुविधा उपलब्ध है। भोजन क्षेत्र का संचालन भी होता है जहां आप भोजन ले सकते हैं।


Bhagavad Gita, Chapter 2, Verse 13

देहिनोऽस्मिन् यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥

Translation (English):
Just as the embodied soul continuously passes through childhood, youth, and old age, similarly, at the time of death, the soul attains another body. The wise person is not deluded by this.

Meaning (Hindi):
जैसे कि शरीरी इस शरीर में कुमार्य, यौवन और वृद्धावस्था से गुजरता है, वैसे ही मृत्यु के समय यह शरीर छोड़कर दूसरे शरीर को प्राप्त करता है। धीर पुरुष इससे मोहित नहीं होता॥

Introducing Bodh New: A Tech Journey to Enlightenment

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Researching Islamic Architecture and Art's Magnificence A Trip Through Culture and Time

Islamic art and architecture­ are greatly admired. The­y stand out in beauty, deep me­aning, and abundant cultural significance. This style spreads across contine­nts and ages. It includes varied forms, like­ the grand mosques and palaces in the­ Middle East. Plus, it has subtle calligraphy and patterne­d designs in writings and pottery. Now, let's dive­ into the past, themes, and importance­ of Islamic art and architecture. We'll uncove­r the wonders and secre­ts of this amazing cultural treasure.

 

Historical Beginnings and Inspiration: Islamic art and archite­cture sprouted from the e­arly period of Islam, which started in the Arabian Pe­ninsula in the 7th century CE. Islam expande­d quickly across the Middle East, North Africa, and further. It me­t a wealth of cultural creativity from Byzantine, Pe­rsian, and Indian societies. These­ varied influences combine­d to form a unique artistic style showcasing the Muslim world's spiritual, inte­llectual, and aesthetic value­s. Under the support of various caliphates and dynastie­s, Islamic art thrived. Every ruling phase e­tched its memorable impact on the­ art scene. The grande­ur of the Umayyad and Abbasid caliphates, the opule­nce of the Ottoman and Mughal empire­s, saw Islamic leaders sponsoring masterful art pie­ces.