लुधियाना का सांगला शिवला मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

लुधियाना के इस मंदिर में 500 साल पहले अचानक एक पत्थर के शिवलिंग के रूप में भगवान भोलेनाथ का जन्म हुआ था।

लुधियाना के सांगला शिवाला मंदिर में 500 साल से भगवान भोलेनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की जा रही है। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर मंदिर स्थित है वह स्थान वीरान हुआ करता था और 500 साल पहले भगवान भोलेनाथ अचानक यहां एक पत्थर के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और तब से नगरवासी इस मंदिर में जल चढ़ाने आते हैं और अपनी इच्छा पूरी करने के लिए सिर झुकाते हैं।



यह शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का रखरखाव महंत संप्रदाय के पास है और यहां के पहले महंत अलख पुरी थे। वर्तमान में महंत नारायण दास पुरी मंदिर के मुख्य सेवादार हैं। मंदिर का नाम सांगला शिवाला रखने के पीछे भी एक अजीब कहानी है। महंत नारायण दास पुरी बताते हैं कि जब भगवान शिव के स्वयंभू लिंग का जन्म यहां हुआ था, तब उनके पूर्वजों ने यहां एक मंदिर बनवाया था।


यह जगह पूरी तरह से सुनसान थी, इसलिए उन्होंने यहां चारों तरफ बाड़ लगा दी थी ताकि कोई जानवर या फालतू लोग मंदिर परिसर को नुकसान न पहुंचाएं। फिर लोग इसे संगल वाला शिवालय कहने लगे। बाद में इसका नाम बदलकर सांगलावाला शिवाला कर दिया गया। सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यह मंदिर सैकड़ों वर्षों से एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। शिवरात्रि और सावन के महीनों में शहर के शिव भक्त कांवड़ से जल लाकर यहां चढ़ाते हैं।

इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में नव दुर्गा की मूर्तियों के दर्शन भी बहुत फलदायी होते हैं। महंत नारायण दास पुरी बताते हैं कि इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर पुराने शहर में छोटा बाजार के पास है। यहां पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन से ग़दर वाले चौक से गोकुल रोड होते हुए पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा चौरा बाजार होते हुए निक्कमल चौक से भी मंदिर पहुंचा जा सकता है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात

सोमनाथ मंदिर, जिसे सोमनाथ मंदिर या देव पाटन भी कहा जाता है, भारत के गुजरात में वेरावल के प्रभास पाटन में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और माना जाता है कि यह शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला है।  कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और शासकों द्वारा बार-बार विनाश के बाद, विशेष रूप से 11वीं शताब्दी में महमूद गजनी के हमले से शुरू होकर, मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया था।  

देवी कन्या कुमारी मंदिर तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित है।

दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच कन्याकुमारी का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं।

बौद्ध धर्म क्या है?

ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं।

गुप्तकाल में यह धर्म यूनान, अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था किंतु ईसाई और इस्लाम के प्रभाव के चलते इस धर्म को मानने वाले लोग उक्त इलाकों में अब नहीं के बराबर ही है।

Accepting Differences: Honoring Muslim Traditions

The radiance of Islamic customs: Islam is a way of life that includes a diverse range of customs; it is more than just a religion. For millions of people, Islamic customs—from the call to prayer that reverberates through historic mosques to the joyous celebration of Ramadan—provide beauty and harmony. A harmonious and interconnected society is built on the foundation of family, community, and compassion.

Understanding Jainism A Way to The soul Connection and Nonviolence

Jainism, a time-honore­d belief system, stands out for its focus on pe­ace (ahimsa), personal control, and spiritual growth. Over many ce­nturies, its impacts have reache­d billions globally. This detailed manual covers Jainism's ke­y beliefs, eve­ryday roles for its adherents, and the­ deep-seate­d beliefs and wisdom from this timele­ss religion.

Jainism, its Roots and Journey: Birth: Jainism sprung up in ancie­nt India, sharing birth era with Hinduism and Buddhism. Its last spiritual guide, Lord Mahavira, is considere­d its creator. His life and lessons are­ the foundation of Jainism. Journey through Time: Jainism's growth spans many ce­nturies. Initially rooted in rigorous spiritual rituals, it bloomed into an influe­ntial Indian faith and philosophy. Influential people, te­xts, and monuments have guided its transformative­ journey.