वाणेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात जिले में स्थित है।

वाणेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक मंदिर है।

कानपुर देहात जिले के अंतर्गत रूरा नगर से उत्तर पश्चिम दिशा में 7 किलोमीटर दूरी पर रूरा -रसूलाबाद मार्ग पर वाणेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह देवालय रोड के द्वारा कहिंझरी होकर कानपुर से जुड़ा हुआ है। कहिंझरी से इस मंदिर की दुरी 8 किलोमीटर है। यहां पहुचने के लिए रूरा रेलवे स्टेशन (उत्तर मध्य रेलवे ) से बस या टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते है। अम्बियापुर रेलवे स्टेशन से उत्तर दिशा में 4 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। झींझक रेलवे स्टेशन से उत्तर कर रोड द्वारा मिंडा का कुंआ से होकर वाणेश्वर महादेव मंदिर पहुँच सकते है। रसूलाबाद कस्बे से इस मंदिर की दूरी 20 किलोमीटर है। बिल्हौर रेलवे स्टेशन से उत्तर कर रसूलाबाद होकर इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।



पौराणिक इतिहास:-
पौराणिक वाणेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। इतिहास लेखक प्रो. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी के अनुसार सिठऊपुरवा (श्रोणितपुर) दैत्यराज वाणासुर की राजधानी थी। दैत्यराज बलि के पुत्र वाणासुर ने मंदिर में विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। श्रीकृष्ण वाणासुर युद्ध के बाद स्थल ध्वस्त हो गया था। परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने इसका जीर्णोद्धार कराकर वाणपुरा जन्मेजय नाम रखा था, जो अपभ्रंश रूप में बनीपारा जिनई हो गया। मंदिर के पास शिव तालाब, टीला, ऊषा बुर्ज, विष्णु व रेवंत की मूर्तिया पौराणिकता को प्रमाणित करती हैं।


महाशिवरात्रि के अवसर पर इस देवालय पर पंद्रह दिवसीय मेले का प्रति वर्ष आयोजन होता है। इस अवसर पर जालौन ,बाँदा ,हमीरपुर तथा कानपुर देहात के पैदल तीर्थ यात्री जो पहले कानपुर जाकर गंगा जल भर कर अपनी- अपनी काँवर के साथ जलाभिषेक के लिए लोधेश्वर महादेव जिला बाराबंकी जाते हैं और वापस आकर वाणेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं। इन भक्तों की टोली का अनुशासन और उनके जलूस की छटा देखते ही बनती है।

रास्ते में ये भक्त शिव संकीर्तन में मस्त रहते हैं। प्रत्येक टोली का एक मुखिया होता है जो अपनी टोली पर अनुषान कायम रखता है। अनुशासन भंग करने पर टोली का मुखिया दंडात्मक कार्यवाही करता है। मुखिया का चयन जनतांत्रिक विधि से होता है। कुछ भक्त टोली के साथ गंगा जल भरने के लिए खेरेश्वर घाट (शिवराजपुर के निकट ) जाते हैं। ये भक्त मिटटी के घड़ों में गंगा जल भर कर वाणेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं।


Celebrating a Sikh Wedding Ceremony with Anand Karaj

Anand Karaj is a traditional Sikh wedding ceremony that translates to “Blissful Union”. This sacred rite of passage within Sikhism extends beyond the acts of marriage, taking it as a profound spiritual expedition that reflects equality, love, and bond. This paper extensively uncovers the significance, rituals, and cultural context surrounding this Sikh ceremony known as Anand Karaj.

Historical Context and Significance:The Anand Karaj ceremony was instituted by Guru Amar Das, the third Guru of the Sikhs and later formalized by Guru Ram Das, the fourth Guru who composed Laavan (wedding hymns). These verses are central to the occasion and are taken from the holy book of Sikhs known as Guru Granth Sahib.

It is not just a contract but an effort for union on spiritual grounds to ensure mutual spiritual growth. It is about two people turning into one soul across their two bodies with a commitment to support each other on both their worldly and spiritual journeys.

Bhagavad Gita, Chapter 2, Verse 12

न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः।
न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम्‌॥

Translation (English):
Never was there a time when I did not exist, nor you, nor all these kings; nor in the future shall any of us cease to be.

Meaning (Hindi):
कभी नहीं था कि मैं न था, न तू था, न ये सभी राजा थे। और भविष्य में भी हम सबका कोई अंत नहीं होगा॥

Christianity and Mental Health of Religion in Encouraging Welfare and Handling Mental Health Issues

Mental health is a vital aspect of overall well-being, determining how we think, feel, and act. Recently, there has been a growing awareness of the importance of mental health which has led to more open discussions and increased efforts to address mental health issues. Through its rich history and deep teachings, Christianity brings distinctive angles as well as priceless resources that can significantly contribute to one’s mental well-being. In this article, the role of Christian faith in promoting mental health, providing support during times of crisis, and addressing mental health concerns will be examined.

The Holistic View of Health in Christianity:Christianity promotes a holistic view of health by recognizing the interconnectedness between body, mind, and spirit. This conviction finds its roots in Genesis 1:27 where it is believed that humans are made in God’s image thereby highlighting the sacredness of the whole person. In many parts of the Bible, believers are told how to take care of their emotional well-being encouraging them to find peace joy, and happiness within themselves through their relationship with God.

Which is 1st verse from the Bhagavad Gita?

The first verse of the Bhagavad Gita is: 
 
 "Dhritarashtra said: O Sanjaya, what did my son and the sons of Pandu do when they assembled on the sacred plain of Kurukshetra eager for battle?" 
 
 

Hinduism's Ageless Wisdom: Handling Age-Old Customs in the Contemporary World

Exposing the True Nature of Hinduism: One of the world's oldest religions, Hinduism is a vast and ancient tapestry of spirituality, philosophy, and cultural richness. Hinduism, which has its roots in the holy books known as the Vedas, has grown to embrace complexity and diversity over millennia with grace. In this investigation, we set out to dissect Hinduism's fundamental beliefs and comprehend how its ageless wisdom still has relevance today.