जानिए बांग्ला साहिब गुरुद्वारे के बारे में ये खास बातें

आज हम आपको बांग्ला साहिब गुरुद्वारे के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।

दिल्ली में सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा में से एक बंगला साहिब गुरुद्वारा है। कहा जाता है कि यह देश के सबसे बड़े सिख तीर्थस्थलों में से एक है। देश-विदेश से लोग गुरुद्वारे में नतमस्तक होने आते हैं। इसके साथ ही यह दिल्ली के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरुद्वारा की स्थापना कैसे हुई, कब हुई थी? शायद नहीं। ऐसे में आज हम आपको बांग्ला साहिब गुरुद्वारे से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. आइए जानते हैं इसके बारे में। आपको बता दें कि यह पवित्र स्थान पहले के समय में राजा जय सिंह का बंगला हुआ करता था। राजा जय सिंह 17वीं शताब्दी के शासक थे। जिस स्थान को आज गुरुद्वारा कहा जाता है, पहले इस स्थान को जयसिंहपुरा महल कहा जाता था। इसके साथ ही यह तब कनॉट प्लेस नहीं, बल्कि जयसिंह पुरा था।



आठवें सिख गुरु
इस बंगले में साल 1664 में सिखों के आठवें गुरु रहे गुरु हर कृष्ण इस बंगले में रहते थे। कहा जाता है कि उस समय ज्यादातर लोग चेचक और हैजा से पीड़ित थे। तब आठवें सिख गुरु ने बंगले के एक कुएं से प्राथमिक उपचार और ताजा पानी उपलब्ध कराकर बीमारों की मदद की। इसलिए यह भी कहा जाता है कि गुरुद्वारे के पानी से बीमारियां दूर होती हैं। हालांकि इसके बाद गुरु हर कृष्ण भी इस बीमारी से संक्रमित हो गए और इस वजह से उनकी भी मौत हो गई। तब राजा जय सिंह ने कुएं के ऊपर एक छोटा सा तालाब बनवाया। माना जाता है कि झील या तालाब के इस पानी में उपचार गुण होते हैं। इसके बाद ही राजा जय सिंह ने इस बंगले को सिखों के आठवें गुरु को समर्पित किया।


सरोवर
अगर आप गुरुद्वारे गए हैं तो आपको इस बात की जानकारी होगी कि गुरुद्वारे में मौजूद झील बेहद शांत जगह है। जब भी आप इस तालाब या सरोवर के पास बैठते हैं या घूमते हैं तो आपको शांति मिलती है। बंगला साहिब गुरुद्वारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। हम सभी जानते हैं कि गुरुद्वारा में मुफ्त भोजन परोसा जाता है, जिसे लोग लंगर के नाम से जानते हैं। यह लंगर लोगों और गरीबों को दिन में 24 घंटे, 365 दिन खिलाया जाता है। बंगला साहिब गुरुद्वारा में लंगर हॉल में लगभग 800-900 लोग बैठ सकते हैं। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगला साहिब गुरुद्वारे में रोजाना करीब 35 से 75 हजार लोग लंगर खाते हैं. यह लंगर सुबह 5 बजे से शुरू होकर देर रात तक चलता है। साथ ही इस लंगर का स्वाद भी बहुत ही स्वादिष्ट होता है. इसके अलावा आप चाहें तो किचन में जाकर दूसरे लोगों को खाना बनाने में मदद कर सकते हैं। आप रोटी बेलने से लेकर दाल बनाने तक सब कुछ स्वेच्छा से कर सकते हैं। सिर्फ खाना बनाना ही नहीं आप लोगों को खाना भी परोस सकते हैं.

सबसे सस्ता डायग्नोस्टिक सेंटर
लंगर ही नहीं गुरुद्वारा में भी आप इलाज करा सकते हैं। गरीब लोगों की मदद के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाती है। आप गुरुद्वारा में सिर्फ 50 रुपये में एमआरआई स्कैन करवा सकते हैं। इसके साथ ही गुरुद्वारा स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर ने हाल ही में अपना किडनी डायलिसिस अस्पताल भी खोला है। कॉम्प्लेक्स में कोई कैश या बिलिंग काउंटर नहीं है और यहां मरीजों को मुफ्त में भर्ती किया जाता है। दिल्ली के बाहर से आने वाले लोग गुरुद्वारे के कमरों में ठहर सकते हैं और लंगर हॉल में खाना खा सकते हैं.


Bhagavad Gita, Chapter 2, Verse 22

"Vāsāmsi jīrṇāni yathā vihāya
Navāni gṛhṇāti naro ’parāṇi
Tathā śharīrāṇi vihāya jīrṇāny
Anyāni saṁyāti navāni dehī"

Translation in English:

"Just as a person puts on new garments after discarding the old ones, similarly, the soul accepts new material bodies after casting off the old and useless ones."

Meaning in Hindi:

"जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, वैसे ही आत्मा पुराने और अनुपयुक्त शरीरों को छोड़कर नए मानसिक शरीर को अपनाती है।"

Ayodhya, a city in India's heartland, is be­loved by many Hindus. ­

Ayodhya: Home of Lord Rama's Birth Ayodhya, by the­ Sarayu River, is Lord Rama's rumored birthplace. He­ is respected in Hinduism. The­ Ramayana, a chief Hindu mythology text, tells Lord Rama's life­. It highlights values like righteousne­ss and loyalty. So, Ayodhya has immense spiritual significance for many Hindus.

Ayodhya, known worldwide be­cause of a crucial conflict concerning a spot Hindus think is Lord Rama's birthplace. The­ Babri Masjid, a 16th-century building, was on this land. It sparked a heate­d lawsuit and societal clash. The dispute gre­w severe in 1992 upon the­ Babri Masjid’s demolition. It caused religious strife­ and ignited a court fight lasting many years.

 

 

Buddhist meditation as a method of achieving calmness and soulful development

Buddhism is an important component of Bodh, which depends on meditation as the main method of promoting inner serenity, mindfulness, and spiritual growth. This ancient wisdom rooted in contemporary awareness offers a roadmap for coping with a complicated world while achieving a deeper self-understanding and interconnection. In this survey, we will examine multiple Bodh meditation techniques and provide insight, instruction, and motivation to people who embark on their internal exploration.

Understanding Bodh Meditation:At the center of Bodh meditation is the development of Sati or mindfulness; this involves focusing attention on the present moment with a mindset of curiosity, openness, and acceptance. By paying close attention to what one does through meditation practices rooted in the teachings of Buddha; it teaches that mindfulness is central to transcending suffering and achieving liberation. Through this process, meditators come to comprehend that their thoughts are ever-changing as well as emotions and sensations without attachment or aversion thus leading them to have a sense of inner peace and balance.

Environmentalism and Islam Environmental Protection and the Khilafah (Stewardship) Idea

The Islam; an over 1. The largest religious following in the world with around 8 billion followers worldwide, it offers a complete way of living that is not only religious and moral but also practical life principles. The less most Muslims know of a very critical issue of Islamic teachings is environmental stewardship sometimes known as Khilafah. This work analyses the role of Khilafah in Islam’s attitude toward environmental protection and how environmental problems can be solved based on this doctrine.

Concept of Authority: The KhilafahThe Arabic term khilafah is translated as trusteeship or delegation. In the Islamic worldview, the term alludes to the human duty as caretakers of the planet by being God’s stewards. This concept is based on the Quran – the Islamic scripture and Sunnah – the practices and sayings of Prophet Muhammad.

Quranic Foundation:

The Quran further defines what the role of humans will be on the earth. In Surah Al-Baqarah (2:30 Thus Allah says:).

"And [mention] when your Lord said to the angels, ‘Indeed I will make on the earth a Khalifah’. They said ‘Will you place thereupon one who causes corruption while we declare Your praise and sanctify You’. All said ‘I know that which you do not know’’.

This verse indicates that humans are placed in charge of the earth as its keepers or custodians.