सूफी संत हमीदुद्दीन नागोरी की दरगाह का 769वां उर्स शुरू नहीं होगा, कव्वाली व मुशायरे का नहीं होगा आयोजन

नागौर में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सूफी हमीदुद्दीन नागोरी की दरगाह का सालाना 769वां उर्स कोरोना दिशा-निर्देशों की पालना के साथ शुरू होगा। वहीं, दरगाह के महफिल खाना और अखिल भारतीय स्तर के मुशायरे में ईशा की नमाज के बाद होने वाला कव्वाली कार्यक्रम भी इस बार नहीं होगा.

दुनिया की एकता के लिए मशहूर सूफी संत हमीदुद्दीन नागोरी का उर्स इस बार सादगी से मनाया जाएगा। रविवार को नागौर में ध्वजारोहण के साथ सूफियों का वार्षिक 769वां उर्स शुरू हुआ। राज्य सरकार की ओर से जारी कोरोना एडवाइजरी के अनुपालन के चलते उर्स कमेटी ने ऐलान किया है कि हर बार की तरह इस बार उर्स में कोई आयोजन नहीं होगा. उर्स के दौरान दरगाह परिसर के बाहर मेला मैदान में नहीं होगा।



हर साल उर्स के दौरान मेला मैदान में अस्थाई दुकानें भी नहीं लगाई जाएंगी। वहीं अलग-अलग तरह के झूले जो हर साल उर्स में आकर्षण का केंद्र होते हैं, वो भी इस बार उर्स में नहीं दिखेंगे. दरगाह परिसर में हुई बैठक में इस बार कोरोना के चलते समिति के पदाधिकारियों की ओर से शासन की एडवाइजरी का पालन करते हुए सादगी से उर्स मनाने का निर्णय लिया गया है. दरगाह कमेटी से जुड़े मकबूल अंसारी ने बताया कि दरगाह पर आने वाले श्रद्धालुओं को फतेहखवानी तक ही दरगाह में रुकने दिया जाएगा.


इसके साथ ही उर्स की अवधि के दौरान अकीदतमांडो को अस्ताना शरीफ पर मास्क, सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन जैसी कोरोना एडवाइजरी का भी पालन करना होगा. दरगाह के महफिल खाना और अखिल भारतीय स्तर के मुशायरे में ईशा की नमाज के बाद होने वाला कव्वाली कार्यक्रम भी इस बार नहीं होगा. दरगाह में श्रद्धालुओं के लिए लंगरखाने में बना लंगर भी इस बार नहीं लगाया जाएगा। वहीं, बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी इस बार नहीं की जाएगी।

रात के कर्फ्यू के दौरान दरगाह में तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर रोक रहेगी। दरगाह में उर्स की शुरुआत के दौरान ध्वजारोहण के दौरान समिति के समर्थक काजी अता मोहम्मद, मुमताज बड्डा, अख्तर पहलवान, आबिद हुसैन अल्वी, तारिक गौरी, मोहम्मद हनीफ भट्टी, अब्दुल राशिद, मकबूल अंसारी की समिति, शरीफ कुरैशी, मोहम्मद रफीक अंसारी, जफर मुल्तानी, मास्टर इमरान खान, सैयद अजीज अली, रफीक लोहार, नजीर मुल्तानी, बशीर अहमद जोधपुरी, अहमद खराडी, असलम सोडा, मजीद खान, उमर गौरी को बनाया गया है।


The Path to Enlightenment: Examining the Heart of Bodh Dharma

The Origin of Bodh Dharma: Bodh Dharma, also known as Buddhism, has its origins in the historical person Siddhartha Gautama, who lived in ancient India in the sixth century BCE. Bodh Dharma began with Siddhartha's enlightenment under the Bodhi tree, which resulted from his quest to comprehend the nature of suffering and the way to liberation.

 

मुस्लिम धर्म त्योहारों में से एक बाराबंकी मेला भी आता है जो राष्ट्रीय एकताका प्रतीक माना जाता है

बाराबंकी मेला जिसे देव मेला भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष अक्टूबर और नवंबर के महीनों में मनाया जाता है।

कैलाशनाथ मंदिर, औरंगाबाद विवरण

कैलाश या कैलाशनाथ मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा गुफाओं की गुफा 16 में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी अखंड रॉक-कट संरचना है। कैलाश या कैलाशनाथ मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा गुफाओं की गुफा 16 में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी अखंड रॉक-कट संरचना है।