जैन धर्म में, भाद्रपद शुक्ल तृतीया को रोट तीज का व्रत मनाया जाता है।

जैन धर्म में रोट तीज का त्योहार इन खास व्यंजनों के बिना अधूरा है

हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। वर्ष 2019 में रोटीज का व्रत 1 सितंबर, रविवार को मनाया जा रहा है। आपको बता दें, जैन धर्म में रोट तीज व्रत का बहुत महत्व है। इस व्रत को करने से मानसिक शांति मिलती है। इसमें कई पौराणिक कथाएं भी हैं। लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि इनमें से कुछ व्यंजन रोट तीज के व्रत में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जिनके बिना यह त्योहार अधूरा है। जानिए उनके बारे में। जैन समाज में रोटीज के दिन यह विशेष व्यंजन बनाया जाता है। इस दिन रोटी से केवल सब्जी की सब्जी और चावल की खीर बनाई जाती है, जिसका जैन धर्म में बहुत महत्व है.



शाही बासमती खीर
सामग्री :
2 लीटर दूध, दो मुट्ठी बासमती चावल, एक पाव कटोरी बादाम-पिस्ता और काजू की कतरन, चार बड़े चम्मच चीनी, आधा चम्मच पिसी हुई इलायची, दूध में भीगा हुआ 3-4 लच्छा केसर।
तरीका :
खीर बनाने से एक या दो घंटे पहले चावल को धोकर पानी में घोल लें। दूध को एक मोटे तले के बर्तन में डालकर गैस पर रख दें। चार-पांच उबाल लें। अब चावल का सारा पानी निकाल कर दूध में डाल दें। बीच बीच में चलाते रहें और गाढ़ा होने तक पकाएं.
- चावल पकने के बाद चीनी डालें और चीनी के पिघलने तक लगातार चलाते रहें. बीच में मत छोड़ो। - अब इसमें कटे हुए मेवे और पिसी हुई इलायची डालें. अब प्याले में रखा भीगा हुआ केसर डाल कर मिला दीजिये. खीर के अच्छी तरह गाढ़ी होने के बाद इसे आंच से उतार लें और गरमा गरम शाही बासमती खीर चढ़ाएं.


तोरई की सब्जी
सामग्री :
250 ग्राम तोरई (तुरई), 2 बड़े टमाटर, 1 चम्मच पिसी लाल मिर्च, 1/2 चम्मच हल्दी, 2 चम्मच पिसा धनिया, 1 चम्मच राई-जीरा, एक चुटकी हींग, 2 बड़े चम्मच तेल, नमक स्वादानुसार, हरा धनिया.
विधि :
सबसे पहले तुरई को छीलकर उसको लंबे-लंबे टुकड़ों में सुधार लें. टमाटर की प्यूरी तैयार कर लें. अब कड़ाही में तेल गर्म करके राई-जीरे का छौंक लगाएं और हींग डालकर टमाटर की प्यूरी डाल दें.
तेल छोड़ने तक प्यूरी को अच्छी तरह हिलाते रहे. उसके बाद उपरोक्त मसाला डालकर टमाटर की ग्रेवी बना लें. अब थोड़ा पानी और तुरई डालकर अच्छी तरह पकने दें. जितनी गाढ़ी या पतली रखनी चाहे वह अपने हिसाब से रख लें. अच्छी तरह पक जाने पर हरा धनिया डालें और गरमा-गरम रोट के साथ तुरई की शाही सब्जी पेश करें.

गेहूं की रोटी:
सामग्री :
500 ग्राम मोटा पिसा हुआ गेहूं का आटा, 2 चम्मच अजवायन, 2 बड़े चम्मच घी, स्वादानुसार नमक, गुनगुना पानी।
तरीका :
सबसे पहले गेहूं के आटे को छान लें। - इसके बाद इसमें नमक, अजवायन और घी डालकर अच्छी तरह मिला लें और सख्त आटा गूंथ लें. गूंदने के बाद इसे एक घंटे के लिए ढककर रख दें। - अब तैयार आटे की मोटी लोई बनाकर उसे मोटी रोटी (मोटी रोटी) में बेल लें.


मुस्लिम धर्म त्योहारों में से एक बाराबंकी मेला भी आता है जो राष्ट्रीय एकताका प्रतीक माना जाता है

बाराबंकी मेला जिसे देव मेला भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष अक्टूबर और नवंबर के महीनों में मनाया जाता है।

Finding the Foundations, Sacred Texts, Denominations, Worship, and Social Justice in the Heart of Christianity

Christianity Basics: The Essence of Jesus Christ's Journey Central to Christianity is Jesus Christ. His birth, teachings, and selfless love originated in Bethlehem two millennia ago. Known for kindness, embracing all, and sending love messages, Jesus often taught through stories. These stories focused on forgiving, demonstrating humility, and God's Kingdom.  The bedrock of Christianity is the divine identity of Jesus Christ and the life­changing impact of his return to life. His sacrifice on the cross and arising from the dead are key moments, offering forgiveness and an eternity for followers. The core beliefs also honor the Trinity, highlighting God the Father, Jesus the Son, and the Holy Spirit as vital parts of the Christian God.

Bhagavad Gita, Chapter 2, Verse 20

"Na jāyate mriyate vā kadāchin
Nāyaṁ bhūtvā bhavitā vā na bhūyaḥ
Ajo nityaḥ śhāśhvato ’yaṁ purāṇo
Na hanyate hanyamāne śharīre"

Translation in English:

"The soul is never born and never dies; nor does it ever become, having once existed, it will never cease to be. The soul is unborn, eternal, ever-existing, and primeval. It is not slain when the body is slain."

Meaning in Hindi:

"आत्मा कभी न जन्मता है और न मरता है; न वह कभी होता है और न कभी नहीं होता है। वह अजन्मा, नित्य, शाश्वत, पुराणा है। शरीर की हत्या होने पर भी वह नष्ट नहीं होता।"