हेमकुंड साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ है। यह उत्तराखंड के गढ़वाल संभाग में है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुंड साहिब सिख धर्म की आस्था का प्रतीक है। इस पवित्र स्थान के कपाट खोल दिए गए हैं। यहां पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। लक्ष्मण मंदिर में पूजा भी शुरू हो गई है। दरअसल यहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां का सफर बेहद कठिन है।
चट्टानी पहाड़ों और चारों तरफ बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा हेमकुंड साहिब समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर है। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीली सड़क से गुजरना पड़ता है। यहां साल में 7-8 महीने बर्फ रहती है और मौसम बहुत ठंडा रहता है। हेमकुंड एक संस्कृत शब्द है। इसका मतलब है बर्फ का पूल। हेमकुंड में झील के किनारे सिखों का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। गुरुद्वारा के पास एक लक्ष्मण मंदिर है।
बर्फ की ऊंची चोटियों से घिरे होने के कारण यहां का वातावरण बेहद शांत है। प्रकृति की गोद में बसे इस गुरुद्वारे में सिर झुकाने के लिए हर साल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सिख श्रद्धालु आते हैं। तीर्थयात्री सड़क और हवाई मार्ग से हेमकुंड साहिब पहुंच सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आपको ऋषिकेश बद्रीनाथ मोटर मार्ग से जाना होगा। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंद घाट पर उतरना होगा।
गोविंद घाट से पैदल 20 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करना पड़ता है। गोविंद घाट अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते हुए पुल से अलखनंदा नदी पार करनी होगी। यहीं से पुलना गांव आएगा। बाद की चढ़ाई अधिक कठिन हो जाती है क्योंकि रास्ता बहुत पथरीला है। इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है और यहां हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर है।