विरुपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण शिव द्वारा दिए गए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तब वह यहीं रुका था।

विरुपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। 7वीं शताब्दी के दौरान बने इस मंदिर को अपने इतिहास और खूबसूरत वास्तुकला के कारण यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। मंदिर की दीवारों पर 7वीं शताब्दी के समृद्ध शिलालेख भी हैं जो इसकी समृद्ध विरासत का प्रमाण प्रदान करते हैं। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव के रूपों में से एक 'विरुपाक्ष' को समर्पित है, जिसे "सुखद विरुपाक्ष मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है।



मंदिर में मुख्य देवता के साथ-साथ कई देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां हैं जो कलाकृतियों के माध्यम से कई देवी-देवताओं की पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं। इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है। इस मंदिर का गोपुरम 500 साल पहले बनाया गया था। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में बनाया गया है। हेम कूट पहाड़ी की तलहटी में तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर बने इस मंदिर का गोपुरम 50 मीटर ऊँचा है। इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा भुवनेश्वरी और पंपा की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। इस मंदिर के पास छोटे और अधिक मंदिर हैं जो अन्य देवी-देवताओं को समर्पित हैं।


विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमहा देवी ने करवाया था। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में ईंट और चूने से बना है। यह यूनेस्को की घोषित राष्ट्रीय विरासत में शामिल है। ऐसा माना जाता है कि हम्पी रामायण काल ​​की किष्किंधा है। यहां भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की कथा रावण और भगवान शिव से जुड़ी है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहाँ का शिवलिंग है जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण शिव द्वारा दिए गए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तब वह यहीं रुका था।

उन्होंने यह स्थान एक वृद्ध को शिवलिंग धारण करने के लिए दिया था। उस बूढ़े ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया, तब से वह शिवलिंग यहां जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी उसे हिलाया नहीं जा सका। मंदिर की दीवारों पर उस घटना की तस्वीरें हैं जिसमें रावण शिव से शिवलिंग को फिर से उठाने की प्रार्थना कर रहा है और भगवान शिव मना कर देते हैं। यहां नरसिंह की 6.7 मीटर ऊंची प्रतिमा है, जो आधा सिंह और आधा मानव का शरीर धारण करती है। किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने इस स्थान को अपने ठहरने के लिए बहुत बड़ा माना और क्षीरसागर लौट आए।


अन्नावरम आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में पम्पा नदी के तट पर स्थित एक गाँव है।

अन्नावाराम गाव में वीरा वेंकट सत्यनारायण भगवान का एक प्रसिद्ध और पुराना मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।

Understanding the Heart of Jainism: A Road to Light

Beginnings and Historical Background: Lord Mahavira, the 24th Tirthankara, is regarded as the final and most important disciple of God in ancient India, where Buddhism first arrived. Mahavira, who was born in the sixth century BCE, gave up on the material world in pursuit of wisdom and spiritual truth. His teachings, which highlight the idea of "kindness," or non-violence, as the most important virtue, serve as the basis of Jain philosophy.

 

काली बाड़ी मंदिर दिल्ली के बिड़ला मंदिर के निकट स्थित एक हिन्दू बंगाली समुदाय का मन्दिर है।

मंदिर में देवी काली की मूर्ति कोलकाता के बड़े प्रधान कालीघाट काली मंदिर की प्रतिमा से मिलती जुलती बनाई गई है।

Walking the Parsi Dharma Path: Choosing Spiritual Harmony and Tradition

1. Parsi Dharma's Historical Tapestry: Following Its Origins and Journey Take a trip back in time to discover the Parsi Dharma's historical origins. See the colorful tapestry of this faith and how it has changed through the ages, from its ancient roots in Persia to its migration to India.