श्वेतांबर और दिगंबर समाज का पर्युषण पर्व भाद्रपद माह में मनाया जाता है।

इस दिन ऋषि-मुनि अधिक से अधिक धार्मिक ध्यान, यज्ञ और तपस्या करते हैं। एक-दूसरे से माफी मांगना और दूसरों को माफ करना दोस्ती की ओर बढ़ता है।

श्वेतांबर का व्रत खत्म होने के बाद दिगंबर समाज का व्रत शुरू होता है. 3 से 10 सितंबर तक श्वेतांबर और 10 सितंबर से दिगंबर समाज का 10 दिवसीय पायूषण पर्व शुरू होगा. 10 दिनों तक उपवास के साथ ही मंदिर में पूजा-अर्चना की जाएगी।



पर्युषण क्या है?
1. पर्युषण का अर्थ है परी यानि चारों ओर से उषाना यानि धर्म की पूजा। पर्युषण को महावरपा कहा जाता है।
2. श्वेतांबर समाज 8 दिनों के लिए पर्युषण उत्सव मनाता है जिसे 'अष्टानिका' कहा जाता है जबकि दिगंबर 10 दिनों तक मनाता है जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं। ये दस लक्षण हैं-क्षमा, मर्दव, अर्जव, सत्य, संयम, शौच, तपस्या, त्याग, अकिन्चन्य और ब्रह्मचर्य।
3. श्वेतांबर इस पर्व को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की पंचमी तक तथा दिगंबर भाद्रपद शुक्ल की पंचमी से चतुर्दशी तक मनाते हैं।


उन्हें क्यों किया जाता है?
1. यह व्रत का महान पर्व है। श्वेतांबर समुदाय 8 दिनों के लिए और दिगंबर समुदाय 10 दिनों के लिए उपवास रखता है। व्रत रखने से हर तरह की गर्मी दूर होती है।
2. पर्युषण के दो अंग हैं- पहला तीर्थंकरों की पूजा, सेवा और स्मरण और दूसरा, विभिन्न प्रकार के व्रतों द्वारा स्वयं को पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक और मौखिक तपस्या में समर्पित। इस दौरान बिना कुछ खाए-पिए निर्जला व्रत रखा जाता है।
3. इन दिनों साधुओं के लिए 5 कर्तव्य बताए गए हैं- संवत्सरी, प्रतिक्रमण, केशलोचन, तपस्चर्य, आलोचना और क्षमा। गृहस्थों के लिए भी शास्त्रों का श्रवण, तपस्या, निर्भयता, दान के पात्र, ब्रह्मचर्य का पालन, आदि स्मारक का त्याग, संघ की सेवा और क्षमा माँगना आदि कर्तव्य बताए गए हैं।
4. श्वेतांबर जैन स्थानक के निवासी भाद्र मास की शुक्ल पंचमी को संवत्सरी पर्व के रूप में मनाते हैं। सात दिनों तक यज्ञ, तपस्या, शास्त्र श्रवण और धार्मिक उपासना के साथ आठवें दिन को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।

महत्व क्या है?
1. यह पर्व महावीर स्वामी के अहिंसा, परमो धर्म के मार्ग पर चलने, जियो और जीने दो के मूल सिद्धांत की शिक्षा देता है और मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस पर्व के अनुसार- 'सम्पिखाये अप्पागम्पप्पनम्' अर्थात आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो।
2. पर्युषण पर्व के अंत में 'विश्व मित्रता दिवस' यानि संवत्सरी पर्व मनाया जाता है। अंतिम दिन दिगंबर 'उत्तम क्षमा' और श्वेतांबर 'मिचामी दुक्कड़म' कहकर लोगों से क्षमा मांगते हैं। इससे मन के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं और मन शुद्ध हो जाता है और सभी के प्रति मित्रता का जन्म होता है।
3. पर्युषण पर्व जैनियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हमें बुरे कर्मों का नाश कर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान महावीर के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए हमें निरंतर और विशेष रूप से पर्युषण के दिनों में आत्म-साधना में लीन रहकर धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।


मुस्लिम धर्म त्योहारों में से एक बाराबंकी मेला भी आता है जो राष्ट्रीय एकताका प्रतीक माना जाता है

बाराबंकी मेला जिसे देव मेला भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष अक्टूबर और नवंबर के महीनों में मनाया जाता है।

The Parsi religions dynamics in a global setting

The Parsi re­ligion comes from old Zoroastrianism. It holds many deep be­liefs, customs, and proofs that lasted over long pe­riods of history and moving. As a scattered group across the world, Parsis use­ digital methods to get the word out, talk be­tween differe­nt faiths, and deal with things like caring for nature, ge­tting young people involved, and tre­ating all genders equally. By ke­eping their customs alive, changing little­ by little, showing respect for the­ old, Parsis keep their community involve­d. This helps shape how they vie­w religion and social arrangements.

Understanding Parsi Diaspora: Living Abroad in a Multicultural WorldParsi diaspora spe­aks of Parsis going beyond their Persia roots, mainly toward India. Late­r, they spread worldwide. Living in diffe­rent cultures has create­d a balancing act for Parsis between prote­cting and adapting their culture.The Powe­r of Digital Reach: Building Bridges in the Te­ch EraTechnology is expanding fast, and Parsis are part of this change­. Today, they tap into digital resources to stay close­ to other Parsis globally. From religious service­s online to digital chats and social media groups, Parsis are using te­chnology to talk, learn, and share their culture­ across the globe.