माता चिंतपूर्णी का शक्तिपीठ जहां आकर सारी चिंताएं समाप्त हो जाती हैं

माता का यह मंदिर हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है।

हिमाचल को देवी-देवताओं की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि इस स्थान पर कई शक्तिपीठ हैं। ये है हिमाचल के एक शक्तिपीठ की जिसे देवी चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। इसे छिन्नमस्तिका शक्तिपीठ भी कहा जाता है। माता का यह मंदिर हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है। पुराणों के अनुसार इस स्थान पर देवी सती के चरण गिरे थे।



ऐसा माना जाता है कि माई दास नाक के एक सारस्वत ब्राह्मण थे जो मां के भक्त थे। एक बार माता ने अपनी भक्त माई दास को इस स्थान पर दर्शन दिए और बताया कि यह उनका शक्तिपीठ है, जिसके बाद इस स्थान पर देवी का मंदिर बनाया गया। मंदिर में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर एक बड़ा पत्थर है।


ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर देवी ने अपने भक्त माई दास को दर्शन दिए थे। महिषासुर का वध मां दुर्गा ने नैना देवी मंदिर के पास किया था। लेकिन देवी की उत्पत्ति इस स्थान पर देवताओं द्वारा मानी जाती है। इसलिए इस शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। भक्त की यह मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से सभी चिंताएं और निराशा के बादल दूर हो जाते हैं।

मन में भक्ति और आशा का संचार होता है। भक्त मां से जो कुछ भी श्रद्धापूर्वक मांगता है, मां उसकी मनोकामना पूरी करती है। चैत्र और अश्विन नवरात्रि में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर में माता के मंत्रों की गूंज सुनाई देती है।


Developing Minds: The Changing Capabilities of Learning

Overview: The Entrance to Enlightenment Education is the key that opens the door to a world of knowledge and enlightenment. It is frequently referred to as the cornerstone of progress and development. This blog post delves into the complex world of education, examining its transformative potential, changing approaches, and essential role in forming people and societies.

कार्तिक मास की अमावस्या को छठ पर्व षष्ठी मनाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

दिवाली के छह दिन बाद कार्तिक शुक्ल को छठ पर्व षष्ठी का यह पर्व मनाया जाता है। यह चार दिवसीय उत्सव है और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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गोमतेश्वर मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में श्रवणबेलगोला में स्थित है, जिसे बाहुबली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 

सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी की जीवनी

सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास का जन्म वैशाख शुक्ल 14, 1479 ई. में अमृतसर के 'बसर के' गाँव में पिता तेजभान और माता लखमीजी के यहाँ हुआ था। गुरु अमर दास जी एक महान आध्यात्मिक विचारक थे।

Creating an Educational Wonderland: Effective Methods of Education

Interactive Whiteboards: Make changing visual aids that are interactive learning boards. These boards may include subject-related maps, timelines, or topical displays. Students could actively participate in historical events by using a history board, which could feature a timeline with movable elements. Displays are a fantastic tool for bringing stories to life. Making dioramas enables students to go deeper into the details to understand the material, whether it's a scene from a historical event, a setting from a novel, or a representation of the solar system.