स्वर्ण मंदिर में सोने का कुल वजन है 500 किलोग्राम से भी अधिक है।

सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी।


श्री हरिमन्दिर साहिब सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे 'स्वर्ण मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है। लेकिन भक्ति और आस्था के कारण सिक्खों ने इसे दोबारा बना दिया। इसे दोबारा १७वीं सदी में भी महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनाया गया था। जितनी बार भी यह नष्ट किया गया है और जितनी बार भी यह बनाया गया है उसकी हर घटना को मंदिर में दर्शाया गया है। अफगा़न हमलावरों ने १९वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था।



सन 1984 में हिन्दुस्तान के टुकड़े करने की मंशा रखने वाले एवं सैकड़ों निर्दोष हिन्दू-सिखों के हत्यारे आतंकी भिंडरावाले ने भी आस्था के केंद्र हरमिंदर साहिब पर कब्जा कर लिया था और इसे अपने ठिकाने के रूप में प्रयोग किया। शुरुआत में आस्था का सम्मान करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने अंदर घुसने से परहेज किया लेकिन 10 दिन तक चले इस संघर्ष में अंततः सेना को अंदर घुसकर ही इस आतंकी को खत्म करना पड़ा। आतंकी भिंडरावाले और उसके साथियों के पास से पाकिस्तान निर्मित सैकड़ों भारी हथियार जब्त किए गए। 2017 में प्रस्तावित 'शहीद गैलरी' में 'AGPC' ने भिंडरावाले को एक शहीद के रूप में पहचान देकर सबको चौंका दिया और भारत की अखंडता को ठेस पहुँचायी और सभी धर्मों के राष्ट्रवादी लोगो को उनके इस निर्णय से धक्का लगा। लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था। यह गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है। इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखते ही बनती है। गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं, जो चारों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) में खुलते हैं। उस समय भी समाज चार जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगों को अनेक मंदिरों आदि में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन इस गुरुद्वारे के यह चारों दरवाजे उन चारों जातियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते थे। यहां हर धर्म के अनुयायी का स्वागत किया जाता है।


परिसर
श्री हरिमन्दिर साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर, अमृत सरोवर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरिमन्दिर साहिब में पूरे दिन गुरबाणी (गुरुवाणी) की स्वर लहरियां गूंजती रहती हैं। सिक्ख गुरु को ईश्वर तुल्य मानते हैं। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिर के सामने सर झुकाते हैं, फिर पैर धोने के बाद सी‍ढ़ि‍यों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं। सीढ़ि‍यों के साथ-साथ स्वर्ण मंदिर से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है। स्वर्ण मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत इमारत है। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है जो, जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगाया गया है।

मुख्य द्वार पर बना घंटाघर, नक्शे पर संख्या-२
श्री हरिमन्दिर साहि‍ब के चार द्वार हैं। इनमें से एक द्वार गुरु राम दास सराय का है। इस सराय में अनेक विश्राम-स्थल हैं। विश्राम-स्थलों के साथ-साथ यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है, जिसमें कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है। श्री हरिमन्दिर साहिब में अनेक तीर्थस्थान हैं। इनमें से बेरी वृक्ष को भी एक तीर्थस्थल माना जाता है। इसे बेर बाबा बुड्ढा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जब स्वर्ण मंदिर बनाया जा रहा था तब बाबा बुड्ढा जी इसी वृक्ष के नीचे बैठे थे और मंदिर के निर्माण कार्य पर नजर रखे हुए थे। स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में मानव निर्मित द्वीप पर बना हुआ है। पूरे मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है। झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं। यह झील मछलियों से भरी हुई है। मंदिर से 100 मी. की दूरी पर स्वर्ण जड़ि‍त, अकाल तख्त है। इसमें एक भूमिगत तल है और पांच अन्य तल हैं। इसमें एक संग्रहालय और सभागार है। यहाँ पर सरबत खालसा की बैठकें होती हैं। सिक्ख पंथ से जुड़ी हर मसले या समस्या का समाधान इसी सभागार में किया जाता है। स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सभी पवित्र स्थलों की पूजा स्वरूप भक्तगण अमृतसर के चारों तरफ बने गलियारे की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद वे अकाल तख्त के दर्शन करते हैं। अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं।


Growing Up Christian Faiths Benefits and Difficulties

The Christian household and community in which I grew up had its share of challenges and rewards. This journey shapes one’s values, beliefs, and identity from childhood. The Christian faith whose roots are based on the teachings of Jesus Christ and the bible provides an encompassing way of life where love, forgiveness, and meaning reign supreme. Nevertheless, this route is full of pitfalls. This essay will delve into the various aspects that make up growing up a Christian as well as highlight some of the difficulties faced by these people.

Christian Upbringing Foundations

Family Influence: Faith is normally central to most families who follow Christianity. To this extent, parents take an active part in nurturing their children’s spiritual growth through prayer, Bible reading, and attending church among other traditional practices that aim at instilling godly principles into these young ones’ lives.

Church Community:In a Christian upbringing context, the church community plays a critical role. In addition to reinforcing Christian teachings by regularly attending church services, Sunday school youth groups, etc., it also provides a sense of belonging and support. As children grow in their faith the church acts like an extended family giving directions and encouraging them.

Creating an Educational Wonderland: Effective Methods of Education

Interactive Whiteboards: Make changing visual aids that are interactive learning boards. These boards may include subject-related maps, timelines, or topical displays. Students could actively participate in historical events by using a history board, which could feature a timeline with movable elements. Displays are a fantastic tool for bringing stories to life. Making dioramas enables students to go deeper into the details to understand the material, whether it's a scene from a historical event, a setting from a novel, or a representation of the solar system.

श्रीकुरम कुरमानाथस्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश में श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल में स्थित एक हिंदू मंदिर है।

यह हिंदू भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित है, जिन्हें कूर्मनाथस्वामी के रूप में पूजा जाता है।